ब्रिटिश गवर्नर-जरनल (British Governor-General of India)

ब्रिटिश गवर्नर-जरनल (British Governor-General of India)

British Governor-General of India. ब्रिटिश गवर्नर-जनरल भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्वोच्च अधिकारी थे, जिनका पद 1773 में स्थापित हुआ। वे कंपनी के प्रशासन का नेतृत्व करते थे और बाद में, ब्रिटिश ताज के अधीन आने पर, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण ब्रिटिश अधिकारी बने। 1858 के बाद, जब भारत सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आया, तब गवर्नर-जनरल का पद वायसराय के साथ जोड़ दिया गया, जिससे वे ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि बन गए।

British Governor-General of India


रॉबर्ट क्लाइव (1757-60 ई0 तक तथा 1765-67 ई0 तक)

  • रॉबर्ट क्लाइव बंगाल का गवर्नर दो अवधि के लिए बना था 7057 से 7060 तक तथा 1765 से 1767 तक 
  • रॉबर्ट क्लाइव ने अपने शासनकाल में द्वैध शासन की व्यवस्था की। इसके अंतर्गत बंगाल का प्रशासन दो पृथक शक्तियों ईस्ट इंडिया कंपनी और नवाब के बीच विभाजित था। 
  • क्लाइव ने मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय को इलाहाबाद के द्वितीय संधि 1766 ई के द्वारा कंपनी के संरक्षण में ले लिया। 
  • रॉबर्ट क्लाइव के बाद बंगाल का गवर्नर वेरेलास्ट 1767-1769 ई तथा कार्टियस  1774-1785 ई बना। परंतु उनके काल में भी बंगाल में द्वैध शासन चलता रहा। 

वारेन हेस्टिंग (1772-85 ई0)

  • वारेन हेस्टिंग 1769 से 1772 ई तक बंगाल का गवर्नर था तथा 1774 से 1785 ई तक बंगाल का गवर्नर जनरल। 
  • कोलकाता में एक सर्वोच्च न्यायालय तथा जिला स्तर पर दीवानी एवं फौजदारी न्यायालय की स्थापना कराई। 
  • एशियाटिक सोसाइटी का संरक्षित बना। 
  • प्रथम आंग्ल मराठा तथा द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध उसके समय में लड़े गए। 
  • राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से हटकर कोलकाता लाया गया। 

सर जॉन मैफर्सन (1785-86 ई0)

लार्ड कार्नवालिस (1786-93 तथा 1805 ई0)

  • कार्नवालिस ने पुलिस थानों को स्थापित कराया। 
  • भारत के लिए ब्रिटिश नागरिक सेवा की स्थापना की तथा 1793 ईस्वी में अस्थाई बंदोबस्त के अंतर्गत परमानेंट सेटलमेंट के पद्धति लागू की।  स्थाई बंदोबस्त के अंतर्गत जमीदार एवं उनके अधिकारी एक निश्चित धनराशि (भू-राजस्व का 10 /11 या 89%) अदा करते रहने से लंबे समय तक भूमि के मालिक बने रह सकते थे। 
  • उसने सरकारी अधिकारियों के लिए आचार संहिता बनाई जिसे का "कार्नवालिस कोड" कहा जाता था। 

सर जॉन शोर (1793-98 ई0) 

  • जॉन शोर ने  अहस्तक्षेप के नीति अपनाई। 

लार्ड वेलेजली (1798-1805 ई0)

  • वेलेजली अपने को बंगाल का शेर कहता था। 
  • उसने "सहायक संधि की पद्धति" आरंभ की जिसके अंतर्गत देशी नरेश कंपनी की सेवा तथा ब्रिटिश रेजीमेंट रखने एवं इन सब के बदले एक निश्चित रकम कंपनी को देते। इस व्यवस्था के अंतर्गत क्रमशः निजाम (1798 एवं 1800 ई), मैसूर (1799),इंदौर (1799 ),अवध (1801 ), पेशवा (1802 ),भोसले (1803 ),सिंधिया (1804 ) से संधि हुई। 
  • उसने 1799 ईस्वी में नौसेना को गोवा भेजा ,बंगाल के डेनमार्क के फैक्ट्रियो एवं भू-भाग को विजित कर लिया तथा लॉर्ड लेक के नेतृत्व में 1803 में अंग्रेजी सेना ने आगरा एवं दिल्ली पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। 

सर जॉर्ज बार्लो (1805-07 ई0)

  • इस काल में बेलोरे सिपाही विद्रोह हुआ। 

लॉर्ड मिंटो प्रथम (1807-13 ई0)

  • इस काल में पंजाब के शासक राजा रणजीत सिंह तथा अंग्रेजों के बीच "अमृतसर की संधि 1809 ईस्वी" में हुई। 

लॉर्ड हेस्टिंग्स  (1813-23 ई0)

  • इसके कल में निम्न प्रमुख कार्य संपन्न हुए- 
    • पिंडारियों का दमन
    • मराठा शक्ति अंतिम रूप से नष्ट कर दी गई थी। 
  • मालाबार,कनारा, कोयंबटूर, मदुरई एवं डिंडीगुल में रैयतवाड़ी एवं महलवारी दोनों की मिली-जुली भू प्रणाली लागू की गई। 
  • नई न्यायालय प्रणाली तथा प्रेस पर पहले से चला आ रहा प्रतिबंध समाप्त कर दिया। 

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-35 ई0)

  • सन 1833 ईस्वी में चार्टर अधिनियम के अंतर्गत बेंटिक "भारत का प्रथम गवर्नर जनरल" बना। 
  • 1829 ईस्वी में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया, शिशु बालिका की हत्या पर प्रतिबन्ध।  
  • मैकाले द्वारा कानून का वर्गीकरण, मैकाले की अनुशंसा के आधार पर "अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम" बनाना इत्यादि अति महत्वपूर्ण कार्य संपन्न किया। 
  • यद्यपि वह अहस्तक्षेप की नीति का पालन करता था, फिर भी अपनी इस नीति से हटकर उसने 1831 ईस्वी में मैसूर तथा 1834 ईस्वी में कुर्ग एवं मध्य कचेर को हड़प लिया। उसने भारतीयों को भी उत्तरदाई पदों पर नियुक्त किया। 

चार्ल्स मेटकाफ (1835-36 ई0)

  • इसने प्रेस पर से सभी प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया। 

लॉर्ड ऑकलैंड (1836-42 ई0)

  • इस काल में प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध 1839 से 1842 हुआ। 

लॉर्ड एलेनबरो (1842-44 ई0)

  • इसके काल में प्रथम अफगान युद्ध की समाप्ति हुई तथा अंग्रेजों ने सिंध का अधिग्रहण कर लिया। 

लॉर्ड हार्डिंग (1844-48 ई0)

  • इसके काल में प्रथम आंग्ल सिख युद्ध 1845 -46 ई0 हुआ तथा लाहौर की संधि हुई। 

लॉर्ड डलहौजी (1848-56 ई0)

  • लॉर्ड डलहौजी के काल में द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध (1848 -49 ) हुआ तथा अंग्रेजों ने पंजाब को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया। द्वितीय एंग्लो वर्मा युद्ध (1852 ई) हुआ तथा निम्न वर्मा का अधिग्रहण कर लिया गया। 
  • हड़पनीति (डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स) के अंतर्गत 1848 ईस्वी में सातारा, 1849 ईस्वी में जयपुर, झांसी तथा 1855 ईस्वी में नागपुर को अंग्रेजों ने हस्तगत कर लिया। 
  • नए अधिग्रहित क्षेत्र के लिए "अव्यवस्थापना का सिद्धांत" लागू किया। 
  • कोलकाता एवं आगरा के बीच पहली बार बिजली से संचालित तार सेवा आरंभ हुई। 
  • सन 1854 ईस्वी में डाक कानून लागू किया तथा प्रथम बार डाक टिकट का प्रचलन हुआ। 
  • सर्वप्रथम मुंबई 1853 ई एवं थाने के बीच रेलवे लाइन का निर्माण। 
  • 1854 ईस्वी में शिक्षा संबंधी वुड का प्रसिद्ध सुझाव आया। 
  • भारतीय नागरिक सेवा हेतु प्रथम बार प्रतियोगात्मक परीक्षा शुरू हुई। 
  • बरार एवं अवध का अधिग्रहण किया तथा नाना साहब (धोंधूपंत) की पेंशन को जारी रखने से इनकार कर दिया। 
  • सन 1856 ईस्वी में हिंदू विधवा पुनर्विवाह कानून पास एवं धर्म परिवर्तन के बाद पैतृक संपत्ति पर से अधिकतर समाप्ति संबंधी प्रावधान समाप्त कर दिया गया। 

लॉर्ड कैनिंग (1856 -1858 ई0)

  • लॉर्ड कैनिंग के काल में ईरानियो के साथ युद्ध हुआ। सर्वप्रथम कोलकाता, मद्रास तथा मुंबई में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तथा 10 मई 1857 ई को स्वतंत्रता संग्राम या विद्रोह आरंभ हुआ। 

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