पृथ्वी के गति (Motion of Earth)
पृथ्वी की गति दो प्रकार की होती है
- घूर्णन गति (Rotation)
- परिक्रमा गति (Revolution)
घूर्णन गति (Rotation) - पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा में 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में घूमती है। इसे पृथ्वी की घूर्णन गति कहा जाता है। इसे परिभ्रमण /दैनिक गति भी कहते हैं। इसके कारण दिन वह रात की घटना होती है।
Source:NCERT, Rotation of earth |
परिक्रमण या वार्षिक गति (Revolution) - पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में अर्थात अपनी कक्षा का चक्कर लगाने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट तथा 48 सेकंड लगते हैं। पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण गति कहते हैं। इस गति के कारण ऋतु परिवर्तन होते हैं।
Source:NCERT, Revolution of earth |
पृथ्वी जिस अक्ष या धुरी पर घूमती है, वह अपने कक्ष-तल (Plane of Orbit) के साथ 66 1/2 डिग्री का कोण बनता है और पृथ्वी इस तल पर लंबवत रेखा से 23 1/2 डिग्री झुकी रहती है। इसके कारण -
Source:NCERT |
- दिन रात की लंबाई में अंतर उत्पन्न होता है।
- मौसम में परिवर्तन होता है।
- वर्ष के विभिन्न समयों में परिवर्तन आता है।
- पृथ्वी दीर्धवृताकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा करती है जिसके कारण सूर्य से इसकी दूरी बदलती रहती है। पृथ्वी और सूर्य के मध्य दूरी की दो स्थितियां है-
- अपसौर (Aphelion) - जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य अधिकतम दूरी पाई जाती है, तो उसे अपसौर की स्थिति या सूर्योच्च कहते हैं। इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15.21 करोड़ किलोमीटर होती है। इस समय सूर्यास्त अपेक्षाकृत कम होते हैं। यह स्थिति 4 जुलाई को होती है।
- उपसौर (Perihelion) - जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य न्यूनतम दूरी होती है तो उसे उपसौर की स्थिति या रविनीच कहते हैं। इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 14.70 करोड़ किलोमीटर होती है। यह स्थिति 3 जनवरी को होती है।
- अयनांत या संक्रांति (Solstice) - सूर्य की अयनरेखीय (कर्क रेखा तथा मकर रेखा) स्थिति को अयनांत कहा जाता है।
- 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है, जिससे उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की सबसे अधिकतम ऊंचाई होती है और वहां दिन बड़े और राते छोटी होती है। इसलिए उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है। इस स्थिति को कर्क संक्रांति कहते हैं।
- इसी समय दक्षिणी गोलार्ध में विपरीत स्थिति रहती है जहां सूर्य तिरछा चमकता है, जिससे यहां रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं तथा गर्मी कम होने से शीत ऋतु रहती है।
- 22 दिसंबर को दक्षिणी गोलार्ध सूर्य के सम्मुख रहता है जिससे सूर्य मकर रेखा २३१/२ डिग्री पर लंबवत रहता है जिससे वहां ग्रीष्म ऋतु रहती है। इस स्थिति को मकर संक्रांति कहा जाता है। इस समय उत्तरी गोलार्ध में सूर्य तिरछा चमकता है जिस दिन छोटे व राते बड़ी होती हैं और गर्मी कम होने के कारण शीत ऋतु होती है रहती है।
- नॉर्वे को अर्ध-रात्रि का सूर्य का प्रदेश (Land of Midnight Sun) कहा जाता है।
- जापान को उगते सूर्य का देश (Land of Rising Sun) कहते हैं।
- कर्क रेखा पर स्थित देश - मेक्सिको, बहामास, मिश्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, चीन।
- मकर रेखा पर स्थित देश - चिली, अर्जेंटीना, पराग्वे, ब्राज़ील,नाम्बिया,बोसिवाना, दक्षिण अफ्रीका, मोजांबिक, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया, फ्रेंच पोलिनेशिया, न्यू कैलिडोनिया, फिजी, टोगो।
- 21 मार्च से 23 सितंबर की अवधि में उत्तरी गोलार्ध में सूर्य का प्रकाश 12 घंटे से अधिक समय तक रहता है जिससे दिन बड़े और राते छोटी होती हैं। उत्तरी ध्रुव पर दिन की अवधि 6 महीने होती है।
- 23 सितंबर से 21 मार्च की अवधि में सूर्य का प्रकाश दक्षिणी गोलार्ध में 12 घंटे या उससे अधिक समय तक रहता है, जिससे वहां दिन लंबे व राते छोटी होती है। दक्षिणी गोलार्ध पर दिन की अवधि 6 महीने की होती है।
- ग्रहण (Eclipse) - जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी सरल रेखा में होती हैं तो ग्रहण की अवस्था आती है। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो यह घटना सूर्य ग्रहण कहलाती है। यह अमावस्या को घटित होती है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। यह पूर्णिमा को घटित होती है।
Note-
विषुव (Equinox) - 21 मार्च और 23 दिसंबर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लंबवत चमकता है। इस समय समस्त अक्षांश रेखाओं का आधा भाग प्रकाश में रहता है जिससे सभी जगह दिन-रात बराबर होते हैं। दोनों गोलार्धो में दिन-रात बराबर रहने की स्थिति को विषुव अथवा सम रात-दिन कहा जाता है। 21 मार्च वाली स्थिति को बसंत विषुव (Spring Equinox) और 23 सितंबर वाली स्थिति को शरद विषुव (Autumn Equinox) कहा जाता है।
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